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Maharashtra

शिवसेना ने शिंदे-फडणवीस सरकार पर लगाया बड़ा आरोप, कहा- विरोधियों पर किया जादू-टोना


मुंबई: महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच की लड़ाई हर मोर्चे पर अलग-अलग अंदाज में लड़ी जा रही है। शिवसेना के मुखपत्र सामना ने लिखा कि अंधश्रद्धा के खिलाफ हमेशा लड़ाई लड़ी है। जादू-टोना इत्यादि पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने कानून बनाया, लेकिन महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस की खोके सरकार आने के बाद से जादू-टोना, काला जादू, पिन, नींबू-मिर्ची आदि अंधश्रद्धा को बढ़ावा मिलता दिखाई दे रहा है।

दरअसल, मुख्यमंत्री शिंदे और उनके गुट के चालीस विधायक गुवाहाटी के कामाख्या देवी मंदिर गए। वहां उन्होंने जादू-टोना की विधि की। भैंसे की बलि दी गई। ऐसा इसलिए किया गया ताकि वह मुख्यमंत्री पद पर टिके रहें। प्रमाण दिख भी रहे हैं। शिंदे-फडणवीस के सत्तासीन होने के बाद काला जादू, जादू-टोने जैसी अंधविश्वास की घटनाएं बढ़ रही हैं और राज्य सचिवालय और सरकारी कार्यालयों में इन कामों की चर्चा है।

अनेक उदाहरणों के साथ दावे को बल दिया गया है कि घटनाएं बताती हैं कि इसमें सच्चाई है। हाल में पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान दीपक जलाते समय सुप्रिया सुले की साड़ी में आग लग गई। पुणे के एक अस्पताल में अजित पवार लिफ्ट दुर्घटना से बाल-बाल बचे। कांग्रेस नेता थोराट पिछले माह टहलते समय दुर्घटना में घायल हो गए थे।

इसके अलावा मुंडे नए वर्ष के पहले सप्ताह बीड जिले में एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गए। उनकी कार चकनाचूर हो गई। मुंडे बाल-बाल बच गए, लेकिन छाती की टूटी पसलियों के कारण वे अस्पताल में बिस्तर पर पड़े हैं। शिवसेना के संजय राऊत को भी नाहक जेल जाना पड़ा, वह इसी राजनीतिक जादू-टोने के चलते। विनायक मेटे की भी दुर्घटना में मृत्यु हो गई। वे पिछले कुछ दिनों से बीजेपी के खिलाफ बोलने लगे थे। संपादकीय में इन घटनाओं को संदेहास्पद के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

संपादकीय में लिखा है कि इस राज्य में जादू-टोना, सरकारी बंगले पर मिर्ची यज्ञ जैसी अघोरी प्रथा के लिए स्थान नहीं है, लेकिन जब से शिंदे की जादू-टोना सरकार सत्ता में आई है, राजनीतिक विरोधियों की दुर्घटना व घात-आघात की संख्या अचानक बढ़ने लगी है। मुख्यमंत्री रहते हुए उद्धव ठाकरे को वर्षा के आखिरी दिनों में एक भयानक बीमारी का सामना करना पड़ा था। उनकी अचानक कठिन और जानलेवा सर्जरी करनी पड़ी थी। 

इसलिए कुछ समय के लिए वे अस्वस्थ हो गए थे और उसी समय महाराष्ट्र में सरकार गिराने का प्रयोग शुरू हो गया। यानी महाराष्ट्र में काला जादू टोली का अघोरी प्रयोग पहले से शुरू था। इस अघोरी प्रयोग की मार महाराष्ट्र के जनमानस पर पड़ रही है। हालांकि, यह एक तरह से अंधविश्वास है, लेकिन यह अंधविश्वास लोगों के मन में जड़ पकड़ रहा है, यह अच्छी बात नहीं है।