सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सराहनीय, राहुल नार्वेकर बोले- पहले तय होगा असली पार्टी कौन-सी

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीतिक लड़ाई पर सर्वोच्च निर्णय आ गया है। पांच सदस्सीय संविधानपीठ ने अपना निर्णय सुनाते हुए मामले की सुनवाई सात सदस्यीय समिति के पास भेज दिया है। इसी के साथ उन्होंने विधानसभा में शिवसेना का चीफ व्हिप कौन होगा इसका निर्णय करनेका अधिकार सदन के अध्यक्ष को दिया है। वहीं अब इसपर विधान सभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर की भी प्रतिक्रिया सामने आ गई है।
उन्होंने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि, "मुझे नहीं लगता कि अदालत ने राजनीतिक स्थिति पर आदेश दिया, यह एक सराहनीय फैसला है। यह एक उचित निर्णय था। इसलिए, मैं सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का स्वागत करता हूं।" उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार पहले कौन पार्टी आधिकारिक है और कौन पार्टी प्रमुख है, यह तय करना होगा, उसके बाद ही प्रतोता की नियुक्ति और विधायकों की अयोग्यता का मामला सुलझाया जाएगा।”
सुप्रीम कोर्ट ने सत्ता संघर्ष पर अपना फैसला सुनाते हुए विधान सभा अध्यक्ष द्वारा व्हिप के रूप में भरत गोगावले की नियुक्ति या मान्यता रद्द कर दी है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा है कि, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले का गलत मतलब निकाला जा रहा है। नियुक्ति को मंजूरी देना सही नहीं है क्योंकि विधायक दल के मुखिया ने ही उन्हें नियुक्त किया है। सुप्रीम कोर्ट ने राय व्यक्त की कि आधिकारिक शिवसेना पार्टी और तत्कालीन पार्टी प्रमुख को पहले निर्णय लेना चाहिए।”
उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री ने बताई सच्चाई की जीत
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सच्चाई की जीत बताई है। आयोजित प्रेस वार्ता में फडणवीस ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने महा विकास अघाड़ी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। अदालत ने उनकी साजिश नाकाम हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार पूरी तरह संवैधानिक है।”
उपमुख्यमंत्री ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि उद्धव ठाकरे को दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता है। सदस्यता निरस्त किए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्पीकर के पास अधिकार है कि वे फैसला लें।" उन्होंने कहा, "स्पीकर को यह अधिकार दिया गया है कि 10वीं अनुसूची को ध्यान में रखते हुए यह तय करेंगे कि राजनीतिक पार्टी कौनसी है और फिर सदस्यता निरस्त किए जाने पर फैसला होगा।”

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