सुनील केदार पर संपत्ति कुर्की की लटकी तलवार! सहकारिता विभाग ने 15 दिनों के अंदर जवाब देने का दिया आदेश

नागपुर: नागपुर मध्यवर्ती सहकारी बैंक घोटाले (NDCC Bank Scam) में दोषी सुनील केदार (Sunil Kedar) की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बुधवार को सहकारिता विभाग में मंत्री दिलीप वलसे पाटिल (Dilip Walse Patil) के समक्ष सुनवाई हुई। हालांकि, केदार ने सुनवाई के लिए कुछ और समय माँगा जिसे देने से इनकार करते हुए पाटिल ने 15 दिनों के अंदर केदार को जवाब देने का आदेश दिया है।
ज्ञात हो कि, एनडीसीसी घोटाले मामले में अदालत ने केदार को दोषी पाते हुए पांच साल की सजा सहित 12 लाख रूपये का जुर्माना लगाया था। इसी के साथ अदालत ने आरोपियों ने 150 करोड़ के घोटाले के बदले अभी तक का ब्याज सहित 1,444 करोड़ रूपये वसूलने का आदेश सहकारिता मंत्रलय को दिया था। अदालत के आदेश के खिलाफ केदार ने अपनी याचिका संबंधित मंत्रालय में लगाई थी। जिसपर बुधवार को सुनवाई हुई।
पिछली सुनवाई टल गई थी
याचिका पर बीते दिनों सुनवाई होनी थी लेकिन मंत्री पाटिल की तबियत ख़राब होने के कारण सुनवाई टल गई थी। जिसके बाद बुधवार सात अगस्त को सुनवाई की तारीख निश्चित हुई। इस दौरान समिति ने केदार को आखिरी मौका दिया था। हालांकि, कल हुई सुनवाई में केदार ने अपने वकीलों के माध्यम से और समय की मांग की। लेकिन मंत्री ने अधिक समय देने से इनकार कर दिया और सुनवाई पूरी होने की घोषणा कर दी। इसी के साथ केदार को दो हफ्तों के अंदर जवाब देने का आदेश दिया।
वसूली के लिए संपत्ति हो सकती है कुर्क
अदालत ने सहकारिता विभाग को केदार से घोटले की राशि को आज के समय के अनुसार वसूलने का आदेश दिया है। वहीं सहकारिता विभाग ने दो हफ्तों के अंदर जवाब देने का आदेश दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, विभाग अब किसी भी तरह की राहत देने के मूड में केदार को नहीं है। सूत्रों के अनुसार, रकम वसूली के लिए विभाग केदार की संपत्ति की कुर्की का आदेश भी जारी कर सकता है। हालाँकि, सहकारिता मंत्री क्या निर्णय लेते है वह अब केदार के जवाब देने के बाद हीपता चलेगा।
सुप्रीम कोर्ट से लग चूका है बड़ा झटका
पांच साल की सजा मिलने के बाद केदार चुनाव लड़ने के लिए अपात्र हो चुके हैं। वहीं उनकी विधायकी भी जा चुकी है। सजा के खिलाफ केदार ने निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक याचिकालगाईं लगाई। लेकिन उन्हें सभी जगहों से निराशा हाथ लगी। किसी भी अदालत ने सजा पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत में पेंडिंग केदार की याचिका पर 30 सितंबर से पहले निर्णय देने का आदेश जरूर दिया है।

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