16 दिसंबर से नागपुर में शीतकालीन सत्र, मंत्री मंडल विस्तार पर लगा हुआ है प्रश्नचिन्ह

नागपुर: राज्य में नई सरकार का गठन हो चूका है। देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली है। वहीं एकनाथ शिंदे और अजित पवार उपमुख्यमंत्री के तौर पर शामिल हुए हैं। 16 दिसंबर से राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र नागपुर में आयोजित होने वाला है। लेकिन अभी तक मंत्री मंडल को लेकर प्रश्चचिन्ह लगा हुआ है। अधिवेशन के पहले मंत्री मंडल का विस्तार होना जरुरी है। हालांकि, गठबंधन में विभागों को लेकर चल रही उठापठक को देखते हुए इसके जल्द सुलझने के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। इसके बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि, सत्र में सरकार मंत्री मंडल के साथ शामिल होगी या मुख्यमंत्री, सहित दोनों उपमुख्यमंत्री ही मोर्चा संभालेंगे।"
विधानसभा चुनाव में महायुति को बहुमत मिला। इसमें बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी। सबसे बड़ा दल के नाते मुख्यमंत्री पद पर भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ली। वहीं पिछली सरकार में सीएम रहे एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम बने हैं। शिवसेना ने डीसीएम के साथ गृह मंत्रालय पर भी दावा किया है। शिवसेना नेताओं का कहना है कि, पिछली सरकार में फडणवीस के पास तह पद था, इसलिए इस बाद शिंदे को यह विभाग मिलना चाहिए। हालांकि, भाजपा ने इसे देने से इंकार कर दिया है। और इसके बदले अन्य विभाग देने की पेशकश की है।
टल सकता है मंत्री मंडल विस्तार
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एकनाथ शिंदे अभी भी गृह विभाग पर अपने दावा बरकार रखा है। इसको लेकर लगातार भाजपा और शिंदे के बीच बैठकों का दौर शुरू है। लेकिन शिंदे झुकने को तैयार नहीं है। 16 दिसंबर से विधानसभा का सत्र शुरू होने वाला है। उसके पहले मंत्री मंडल का विस्तार जरूरी है। सूत्रों के अनुसार, सरकार द्वारा 12 दिसंबर को मंत्रियों को शपथ दिलाने की तैयारी कर रही है। हालांकि, जिस तरह का गतिरोध बना हुआ है। उसको देखते हुए मंत्री मंडल विस्तार के टलने की चर्चा शुरू हो गई है।
सवालों के जवाब कौन देगा? यह सबसे बड़ा सवाल
विधानसभा सत्र नागपुर सहित विदर्भ के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। पिछड़े और किसान आत्महत्या से जूझते विदर्भ के मुद्दे और समस्यों का समाधान का प्रयास शीतकालीन सत्र में होता है। वहीं सदन के अंदर मंत्री जवाब देते की सरकार क्या कर रही है? हालांकि, मौजूदा परिस्थिति में मंत्री मंडल का विस्तार होता नहीं दिख रहा है। जिसको देखते सवाल किये जा रहे हैं कि, आखिर सदन में जवाब कौन देगा।

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