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Nagpur

यवतमाल जिले में कैसा है चुनावी माहौल? क्या कहती है जनता और किसके पक्ष में चुनाव


नागपुर: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 20 तारीख को होना है। उसके पहले तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी पुरी ताक़त झोंक दी है। यवतमाल जिले में सात विधानसभा सीट है। राजनीतिक स्थिति को बात करें तो हर विधानसभा सीट का इस बार गणित बेहद अलग दिखाई दे रहा है। पिछले चुनाव यानी 2019 में जिले की छह सीटों पर महायुति, वहीं एक सीट पुसद में एनसीपी उम्मीदवार को जीत मिली थी। वर्तमान यानी 2024 में विधानसभा में अलग स्थिति है,  दिखाईं पढ़ रही है। 

विधानसभा सीटों को लेकर बात करें तो 2019 के चुनाव में जिले में महायुति यानी तत्कालीन शिवसेना भाजपा गठबंधन ने क्लीन स्वीप किया था। जिसमें यवतमाल, रालेगांव, वाणी, अर्णी, उमरखेड़ और दिग्रस में महायुति उम्मीदवारों को जीत मिली थी। वहीं पुसद में एनसीपी उम्मीदवार की जीत हुई थी। 2019 के अनुसार, यवतमाल से मदन येरावार, वाणी से संजीव रेड्डी बोदकुरवार, रालेगांव से सतीश यूइके, उमरखेड़ से नामदेव ससाने, दिग्रस से संजय राठौड़ ने चुनाव जीता था। वहीं पुसद सीट से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के इंद्रनील नाईक को जीत मिली थी। 

2024 विधानसभा चुनाव और 2019 के चुनाव में बहुत अंतर आ गया है। इस चुनाव में न विधानसभा के नतीजे बदल गए हैं बल्कि राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों तक को बदल दिया है। भाजपा ने अर्णी और उमरखेड़ विधानसभा सीटों पर अपने मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया है। उनकी जगह पूर्व विधायक और नए चेहरे को मौका दिया है। अर्णी से भाजपा ने अपने वर्तमान विधायक संदीप धुर्वे की जगह पूर्व विधायक राजू तोड़साम को मौका दिया है। इसी के साथ उमरखेड़ में नामदेव ससाने की जगह किशन वानखेड़े को टिकट दिया है। इसी के साथ यवतमाल, वाणी और रालेगांव सीट पर वर्तमान विधायकों को मौका दिया है। 

महाविकास आघाड़ी से इन्हें मिला मौका

विपक्ष की बात करें तो यहां महाविकास आघाड़ी की तीनों दल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। रालेगांव, यवतमाल, डिग्रस और उमरखेड़ सीट पर कांग्रेस। वाणी में शिवसेना शिंदे और पुसद सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार चुनाव लड़ रही है। रालेगांव से वसंत पुरके, उमरखेड़ से रणजीत कांबले, पुसद से रमेश मैद, दिग्रस से मानिकराव ठाकरे, अर्णी से जितेन्द्र मोघे, और यवतमाल बालासाहेब मंगूलकर से वाणी से उद्धव गुट के संजय दरेकर चुनावी ताल ठोक रहे हैं। जिले की कई सीटों पर मजबूत निर्दलीय है जो दोनो प्रमुख उम्मीदवारों का चुनावी गणित बिगाड़ सकते हैं।

2024 में यह दिख रहा चुनावी स्थिति

2019 में यवतमाल सीट से जितने वाले मदन येरावार की स्थिति इस बार अनुकूल नहीं दिखाई पड़ रहा है। शहर की कानून व्यवस्था, पानी जैसे मुद्दे हावी दिखाई दे रहे हैं। वहीं 10 साल की सत्ता विरोधी लहर भी विधानसभा में दिखाई पड़ रही है, जिसके कारण चुनाव में उनके लिए मुश्किल खड़ी हुई है।

रालेगांव विधानसभा सीट पर बराबरी का चुनाव दिखाई पड़ रहा है। वसंत पुरके हो या अशोक उइके दोनो के लिए जनता बराबरी की बात बता रही है। एक तरफ जहां 10 साल की सत्ता विरोधी लहर है, हालांकि, लाडली बहना योजना इसपर भारी पढ़ती दिखाई दे रही है। वर्तमान में सीट पर जबरदस्त और बराबरी की लड़ाई है। 

वाणी विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला दिखाई पड़ रहा है। मुख्य मुकाबला भाजपा और उद्धव गुट के उम्मीदवार पर दिखाई दे रहा है। लेकिन टिकट नहीं मिलने से चुनाव में उतरे कांग्रेस के बागी ने मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। जिले में कुनबी फैक्टर बेहद हावी दिखाई दे रहा हैं। जनता में विधायक के लिए नाराजगी नहीं है, लेकिन कपास और सोयाबीन फसल को दाम नहीं मिलने के कारण भाजपा के प्रति नाराजगी दिखाई पड़ रही है। हालांकि, त्रिकोणीय मुकाबले के कारण भाजपा को यहाँ फायदा मिलता हुआ दिखाई पड़ रहा है। 

अर्णी विधानसभा सीट पर सभी का ध्यान लगा हुआ है। कांग्रेस ने अपने पूर्व मंत्री शिवाजीराव मोघे के पुत्र को चुनावी मैदान में उतारा है, वहीं भाजपा से राजू टोडसाम मैदान में हैं। राजू के लिए चीजे अनुकल दिखाई पड़ रही है। वर्तमान विधायक को टिकट काट कर भाजपा ने सत्ता विरोधी लहर को दूर कर दिया है, वहीं टोडसाम के मुकबले मोघे थोड़े कमजोर दिखाई पड़ रहे हैं। इसी के साथ लाड़ली बहना भाजपा को यहाँ फायदा पहुंचाते दिख रही है। 

अर्णी के साथ उमरखेड़ में भी भाजपा ने अपने विधायक का टिकट काट दिया है। उनकी जगह किसन वानखेड़े को उम्मीवार बनाया है। वहीं कांग्रेस की तरफ से कांबले चुनावी मैडन में हैं। इस सीट पर कांग्रेस के लिए अनुकूलता दिखाई पड़ रही है। जनता में भाजपा के प्रति नाराजगी तो है, लेकिन उस तरह की नहीं जैसे अन्य क्षेत्रों में है। इसी के साथ मराठा वोट भी यहाँ महत्वपूर्ण है। जिसके पक्ष में यहाँ जाता है उसकी जीत निश्चित है।

दिग्रस में एक बार फिर से संजय राठोड और माणिकराव ठाकरे के बीच लड़ाई है। हालांकि, बंजारा समाज के एक तरफ़ा समर्थन के कारण राठोड यहाँ बेहद मजबूत है। इसी के साथ भाजपा और एनसीपी का साथ होने के कारण वह आसानी से चुनाव जीतते हुए दिखाई पड़ रहे हैं।

पुसद सीट पर भी स्थिति पूरी तरह वर्तमान विधायक और एनसीपी अजित गुट उम्मीदवार इंद्रनील नाइक के पक्ष में हैं। विधानसभा सीट की आधी आबादी बंजारा समाज का है, जो पूरी तरह नाइक परिवार के साथ है। वहीं महायुति में शामिल होने के कारण वह और मजबूत दिखाई पड़ रहे हैं। हालांकि, नाइक के बड़े भाई ययाति नाइक ने भी निर्दलीय पर्चा भरा था लेकिन आखिरी समय में उन्होंने भी उसे वापस ले लिया जिससे इंद्रनील का रास्ता साफ़ हो गया।