Gadchiroli: पुलिस को बड़ी सफलता, 2 करोड़ के इनामी नक्सली संजय राव और पत्नी गिरफ्तार
गड़चिरोली: तेलंगाना पुलिस ने महाराष्ट्र के ठाणे जिले के अंबरनाथ निवासी जहाल नक्सली नेता और सेंट्रल कमेटी सदस्य तथा पश्चिमी घाट कमांडर संजय राव उर्फ दीपक (59) और उसकी पत्नी मुरुवापल्ली राजी उर्फ सरस्वती को गिरफ्तार करने में पुलिस को सफलता मिली। इन दोनों की गिरफ्तारी नक्सली आंदोलन के लिए बड़ा झटका है। बीटेक धारक संजय और उनकी पत्नी उच्च शिक्षित हैं और उनपर करीब 2 करोड़ से अधिक का इनाम रखा था। वह अबुजामद में एक महत्वपूर्ण बैठक के लिए हैदराबाद छोड़ने वाले थे जब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
1983 में संजय राव ने जम्मू-कश्मीर से बीटेक किया। इसी दौरान वह स्वतंत्र कश्मीर की मांग करने वाले अलगाववादियों के संपर्क में आये। चूँकि उनके पिता वामपंथी श्रमिक आंदोलन के नेता थे। उनका जन्म घर से ही वामपंथी विचारों के साथ हुआ था। अपनी शिक्षा के बाद वे 'भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी' के विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। इसी बीच 1999 में नक्सलियों के नेता और सेंट्रल कमेटी के सदस्य कोनाथ मुरलीधरन उर्फ अजित ने 'नक्सलबाड़ी' समूह की स्थापना की। इससे प्रभावित होकर संजय ने भी मुरलीधरन का समर्थन करने का फैसला किया। उन्हें इस समूह के महाराष्ट्र प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी दी गई थी।
उन्होंने महाराष्ट्र, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों में विभिन्न पदों पर कार्य किया। इस दौरान उन्होंने कई हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिया। वह हमेशा मुंबई, पुणे, हैदराबाद आते-जाते रहते थे। तभी से पुलिस उसकी तलाश में थी। इस बीच उसे धुले, बेंगलुरु और 2015 में पुणे के तालेगांव दाभाड़े से भी गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, जमानत पर रिहा होते ही वह फिर से सक्रिय हो गया।
30 साल से अधिक समय से कथित नक्सली आंदोलन में काम कर रहे संजय नक्सलियों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाने वाली केंद्रीय समिति के सदस्य हैं और वर्तमान में पश्चिमी घाट के कमांडर के पद पर हैं। उनकी पत्नी मुरुवापल्ली राजी उर्फ सरस्वती 1999 में नक्सली आंदोलन में शामिल हुईं। संजय और उनकी शादी 2007 में हुई थी। वह नक्सलियों की वेस्टर्न घाट कमेटी की सदस्य भी है। सत्यसाईं जिले का पुटपर्थी उसे मांडल इलाके से गिरफ्तार किया गया।
अबुज़माड में महत्वपूर्ण बैठक
संजय को इसी साल मार्च में छत्तीसगढ़ के अबुजमाड़ इलाके में जाना था, जो नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। लेकिन बीमारी के कारण वह कुछ समय के लिए जंगल से शहरी क्षेत्र में चले गये। चार दिन पहले वह अबुजमाड़ जाने के लिए हैदराबाद आया था। यहां उन्होंने अपने पुराने दोस्तों से भी मुलाकात की। वह अबुजमाड़ का एक वरिष्ठ नक्सली नेता है। बसवराज गणपति समेत कुछ अहम नेताओं से नई रणनीति पर चर्चा करने वाले थे। पिछले साल सेंट्रल कमेटी के सदस्य मिलिंद तेलतुंबडे एक मुठभेड़ में मारे गए थे और उन्हें दंडकारण्य जोन का प्रभार दिया गया था। हालांकि, पुलिस सूत्रों ने जानकारी दी है कि संजय उससे पहले ही पुलिस के जाल में फंस गया था। संजय की गिरफ्तारी से नक्सली आंदोलन को बड़ा झटका लगा है।
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