Gondia: ई-फसल पंजीयन में अनेक खामियां, सरकारी यंत्रणा सुस्त

- किसानों की उड़ गई नींद
तिरोड़ा. फसलों को समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पंजीयन प्रक्रिया की शुरुआत की जा चुकी लेकिन इसमें खामियां होने से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जिससे पंजीयन प्रणाली में सुधार करने की मांग किसानों द्वारा की जा रही है. उल्लेखनीय है कि तहसील के ही नहीं संपूर्ण महाराष्ट्र के किसानों के लिए सरकार ने अपने खेत में उत्पादित फसले जो केंद्र सरकार आधारभुत कीमत निश्चित करती है व राज्य सरकारों से निश्चित हुए कीमतों में खरीदती है. इन फसलों में धान, गेंहु, चना, तुअर, ज्वारी, कपास आदि फसलें आती है. इन फसलों को 1 वर्ष से सरकार ने फसल का पंजीकरण पिछले वर्ष से कराने का वह भी एंड्राइड मोबाइल पर अनिवार्य किया है. पंजीकरण मोबाइल पर होने के पश्चात पटवारी के कम्प्युटर में किसान के सातबारा में संलग्न होता है.
इसके बाद पटवारी के रिकार्ड में आने के बाद किसान के 7/12 में खसरा जो चालु वर्ष का लगाई हुई फसल का चालु वर्ष का भरा जाता है. इसके पश्चात यह 7/12, 8 अ, बैंक पास बुक, आधार कार्ड की जेराक्स कॉपी ले जाकर आधारभुत खरीदी केंद्र पर पुन: पंजीकरण करना होता है. इस पंजीयन प्रक्रिया के पुर्ण होने के बाद दिए गए मोबाइल नंबर पर मॅसेज आता है कि आपका पंजीकरण हो गया और खरीदी शुरू होने पर किसान अपना धान बिक्री के लिए केंद्र पर पहुंचते है. धान का मापतौल होने के बाद खरीदी केंद्र से कम्प्युटर से निकली हुई पर्ची मिलती है. जिमसें किसान का नाम, क्विंटल का ब्यौरा, तारीख, रुपये, बैंक का नाम व खरीदी केंद्र का नाम उल्लेखनीय रहता है. इस प्रकार की कार्यवाही व प्रक्रिया से किसान को गुजरना पड़ता है तब उसके बैंक खाते में पैसे जमा होते है.
खरीफ फसल का ई-फसल पंजीयन
किसानों को खरीफ फसल का ई-फसल पंजीयन कराने के निर्देश सरकार द्वारा देकर इसकी समय सीमा 15 अक्टूबर तक खरीदी केंद्र में भी पंजीयन की समय सीमा निश्चित की है. जिन किसानों की फसलों का ई-फसल पंजीयन समय सीमा के भीतर नहीं होगा वह अपनी उत्पादित फसल बेचने से वंचित रह जाएंगे.
मोबाइल नेटवर्क की समस्या गांवों में
सरकार सभी कार्य ऑनलाइन करा रही है लेकिन तहसील के अधिकांश गांव आधुनिक युग में भी मोबाइल नेटवर्क की समस्या से जुझ रहे हैं. इस वजह से गांवों में नेटवर्क के अभाव में यह महत्वपूर्ण काम लंबित हो रहे हैं. इस कारण से सरकार की अनेकों योजनाओं से किसान वंचित रह जाते है. इन समस्याओं के कारणवश किसान अब मोबाइल के माध्यम से ई-फसल पंजीयन नहीं करा पा रहे हैं. कई किसानों के पास एंड्राइड मोबाइल नहीं होने से जिनके पास है उनका सहारा लेना पड़ता है. जिनके पास है उनके गांव में इंटरनेट सिग्नल नहीं मिल रहा है.
ई-फसल पंजीयन
जिन किसानों ने अपने मोबाइल से ई-फसल पंजीयन करा लिया उन्होंने पटवारी के पास सातबारा में चेक कराया तब उनके कम्प्युटर में पंजीयन नहीं हुआ. यह साबित करता है कि अब पटवारी द्वारा पुन: पंजीयन कराने के लिए कहा जा रहा है. अब यह सिस्टम में कहा खराबी है उसकी जांच सरकार ने करनी चाहिए व अपने इंटरनेट प्रणाली को चुस्त दुरुस्त कराकर पंजीयन में आनेवाली बाधाएं दूर कर किसानों को राहत प्रदान करानी चाहिए. अन्यथा किसान व पटवारी में ही बाचाबाची, वाद विवाद होंगे व अंत में किसान पंजीयन से वंचित रह जाएंगे.
इसी तरह PMY किसान KYC में अर्बन शहरी क्षेत्र के किसानों का पोर्टल शुरु नहीं होने से किसान मिलने वाले वर्ष भर के 6 हजार रु. से वंचित है. सरकार नए नए फंडे अखत्यार कर भोले भाले व कम पढे लिखे किसानों पर थोप देती है लेकिन अपनी आधुनिक प्रणाली में किसी प्रकार का सुधार नहीं करती है. जिसमें किसान परेशानी झेलते रहता है. पंजीयन प्रणाली में सुधार कराने की मांग पर किसानों द्वारा जोर दिया जा रहा है.

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