हिंदी पर एक हफ्ते में लेंगे निर्णय, स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे करेंगे राजनीतिक दलों, नेताओं और भाषा विशेषज्ञों के साथ करेंगे बात

मुंबई: महायुति सरकार ने महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी भाषा लागू करने का फैसला किया है और इस फैसले का पूरे राज्य में कड़ा विरोध हो रहा है। राज्य भर में हो रहे विरोध को देखते हुए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। बताया जा रहा है कि हिंदी भाषा को लेकर अंतिम फैसला अगले सात दिनों में लिया जाएगा। स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे हिंदी भाषा का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों, नेताओं और भाषा विशेषज्ञों के साथ बैठक करेंगे।
स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अन्य राज्यों की भाषाओं और उनकी नीतियों के साथ-साथ हिंदी पर नीति के मुद्दों पर सरकार की स्थिति स्पष्ट करेंगे। साथ ही इस नीति का विरोध करने वालों की सही स्थिति के बारे में भी जानकारी ली जाएगी। उसके बाद इन सभी पहलुओं को शामिल करते हुए एक व्यापक रिपोर्ट तैयार की जाएगी और सरकार उसके अनुसार निर्णय लेगी।
त्रिभाषी फॉर्मूले पर अड़ी सरकार ने अब थोड़ा नरम रुख अपनाया हुआ है। सरकार ने इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक नेताओं और विशेषज्ञों से सलाह लेने का रुख अपनाया है। इस संबंध में सोमवार रात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के वर्षा निवास पर बैठक हुई। इस बैठक में साहित्य विशेषज्ञों, भाषाविदों, राजनीतिक नेताओं और संबंधित पक्षों से चर्चा के बाद अंतिम निर्णय लेने का निर्णय लिया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत मराठी छात्रों को परेशानी न हो, यह सुनिश्चित करने समेत विभिन्न विकल्पों पर सभी के सामने एक व्यापक प्रस्तुति दी जाएगी।
साहित्यकार श्रीपाद जोशी का विरोध
त्रिभाषी फॉर्मूले और हिंदी की अनिवार्यता के खिलाफ मराठी साहित्य जगत में भी नाराजगी है। विदर्भ साहित्य संघ के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार श्रीपाद जोशी ने इस संबंध में देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि त्रिभाषा फॉर्मूले पर राजनीति हो रही है। इस बीच साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष तारा भवालकर ने साफ तौर पर सुझाव दिया है कि चौथी कक्षा तक सिर्फ मातृभाषा ही पढ़ाई जानी चाहिए।

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