हिंदी पर राज्य की सियासत फिर गरमाई, सरकारी आदेश के खिलाफ खड़ी हुई पार्टियां, मंत्री भूसे बोले- विद्यार्थियों की इच्छा पर पढ़ाई जाएगी तीसरी भाषा

मुंबई: राज्य की महायुति सरकार (Mahayuti Government) ने कक्षा एक से हिंदी (Hindi) को अनिवार्य करने के सरकार के फैसले का राजनीतिक असर भी देखने को मिल रहा है। राजनीतिक विवाद बढ़ते देख स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे (Dada Bhuse) ने इस मामले में एक कदम पीछे खींच लिया है। इस मामले में उन्होंने कहा कि फिलहाल उन्होंने कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों को उनकी इच्छा के अनुसार एक तीसरी भाषा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
राज्य में कक्षा एक से ही हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया गया है। लेकिन विपक्षी दलों की कड़ी आपत्ति के बाद सरकार ने पूरी तरह विकल्प के तौर पर तीसरी भाषा पढ़ाने का निर्णय लिया है। बुधवार को इस बारे में बोलते हुए राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने कहा कि फिलहाल उन्होंने कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों को उनकी इच्छा के अनुसार एक तीसरी भाषा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। देवनागरी लिपि होने के कारण हिंदी का संचार में व्यापक उपयोग होता है। इसलिए विद्यार्थियों की मांग के अनुसार उन्हें तीसरी भाषा पढ़ाने की योजना बनाई गई है।
भुसे ने कहा, "लेकिन ऐसा करते समय अगर किसी कक्षा में कुल विद्यार्थियों में से 20 विद्यार्थी किसी भाषा की मांग करते हैं तो उन्हें उनकी पसंद की भाषा पढ़ाई जाएगी। उस स्कूल को वह भाषा पढ़ाने वाला शिक्षक उपलब्ध कराया जाएगा। अगर कहीं विद्यार्थियों की संख्या कम है या कम विद्यार्थी हैं, तो उनकी पसंद की भाषा ऑनलाइन पढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी या अन्य सुविधाएं बनाई जाएंगी।"
मराठी नहीं पढ़ाने वाले स्कूलों पर कार्रवाई
राज्य के सभी माध्यम के स्कूलों में मराठी पढ़ाना अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन उसके बाद भी कई स्कूलों में मराठी नहीं पढ़ाई जाती। तो क्या सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी? पत्रकारों ने उनसे यह सवाल पूछा। दादा भुसे ने कहा कि सरकार के संज्ञान में यह मामला आने के बाद उन स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हमने इस संबंध में एक-दो बार स्पष्टीकरण दिया है। अगर उसके बाद भी वे मराठी पढ़ाना शुरू नहीं करते हैं, तो उन स्कूलों की मान्यता रद्द करने का फैसला लिया जाएगा।
मराठी स्कूलों को बनाए रखने पर सरकार का फोकस
पत्रकारों ने शिक्षा मंत्री के ध्यान में लाया कि पिछले कुछ सालों में मुंबई में 132 मराठी स्कूल बंद हो गए हैं। दादा भुसे ने इस तथ्य को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा। लेकिन हमारी सरकार इस बात पर ध्यान दे रही है कि राज्य में मराठी स्कूल कैसे बचे और कैसे आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि नगर निगम स्कूलों की संख्या बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

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