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Nagpur

ऊर्जा एवं खनिज आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने पर सेमीनार का आयोजन, एमजीएमआई नागपुर चैप्टर द्वारा किया गया


नागपुर: राष्ट्र की ऊर्जा तथा खनिज आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए, माइनिंग जियोलॉजिकल एंड मेटलर्जिकल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एम.जी.एम.आई) नागपुर चैप्टर सेमीनार का आयोजन किया गया। रविवार को होटल तुली इंटरनेशनल में आयोजित सेमिनार में कोल इंडिया लिमिटेड के निदेशक (तकनीकी) डॉ बी. वीरा रेड्डी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए।  

इसी के साथ कार्यक्रम में वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के अध्यक्ष-सह-प्रबंध-निदेशक मनोज कुमार, मॉयल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध-निदेशकअजीत कुमार सक्सेना, ए.पी.सी.सी.एफ. नागपुर के नरेश झुरमुरे, डी.जी.एम.एस, नागपुर के डी.एम.एस. नीरज कुमार कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस दौकार्यक्रम में खनन, धातु और भूविज्ञान पेशेवरों ने शिरकत की। 

इस दौरान रेड्डी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “हमारे देश में खनन के दौरान कार्बन उत्सर्जन लगभग 35% है और हमारा लक्ष्य 2030 तक इसे शून्य करना है। उन्होंने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को अमेरिका, ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात की तुलना मे कम करने की दिशा में हमें कदम उठाने होंगे।” देश के विकास के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पर बताते हुए उन्होंने कहा कि, “विज़न 2047 दस्तावेज़ के अनुसार हमें ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के लिए 1.5 बिलियन टन कोयले का उत्पादन करने की आवश्यकता होगी। खनन के भविष्य पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए हमें भूमिगत खनन का उचित रोड मैप तैयार करने की आवश्यकता है।”

इस दौरान मनोज कुमार ने WCL द्वारा अपनाई जा रही सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया । उन्होंने सभा को बताया कि भारत में 95 प्रकार के खनिज हैं और देश के सकल घरेलू उत्पाद में खनन उद्योग का योगदान 2.2 प्रतिशत है जिसे भविष्य में 2.5 प्रतिशत के स्तर तक बढ़ाया जाना है। उन्होंने दीर्घकालिक योजना पर जोर दिया और WCL द्वारा कोयला परिवहन के लिए फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफ.एम.सी) परियोजनाओं, सस्टैनबल खनन, ओवरबर्डन से रेत निकालना, कोल नीर, पाइप कन्वेयर, खदान बंद करने की प्रक्रिया, कोयले का गैसीकरण, खदानों एवं खनन प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण, मिशन सेहत और मिशन तराश तथा WCL द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में बात की ।