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Nagpur

स्मारक की जमीन निजी हाथों में नहीं जाने देंगे, गजभिये ने कहा- तूफ़ान से नहीं, तोड़ी गई इमारत


नागपुर: अंबाझरी स्थित डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर कल्चरल कॉम्प्लेक्स गिराने को लेकर पिछले कई दिनों शहर में आंदोलन किया जा रहा है। स्मारक बचाव कृति समिति ने गरुड़ कंपनी पर स्मारक को गिराने का आरोप लगाया है। इस आरोप के बाद कंपनी ने आंदोलनकारियों से जमीन को लेकर सबूत मांगे थे। जिसपर आंदोलन के संयोजक किशोर गजभिये ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता कर साक्ष्य प्रस्तुत किये।

प्रेस क्लब में आयोजित वार्ता में गजभिए ने कहा कि, "स्मारक 8 जून से पहले गिर गया था, यह सबूत देते हुए कि स्मारक तूफान से नहीं गिरा था बल्कि ध्वस्त हो गया था। फिर 16 जून 2021 को हम पुलिस के साथ उस जगह गए। सबूत के तौर पर हमारे पास उस वक्त के फोटो और वीडियो हैं। हमारे जाने से पहले स्मारक को तोड़ दिया गया था। यदि यह किसी प्राकृतिक आपदा में गिर जाए तो सीमेंट, कंक्रीट के ढेर में लोहे की सलाखें भी रखनी चाहिए। लेकिन वे नजर नहीं आए।"

गजभिए का आरोप है कि, "निर्माण मशीनरी की मदद से इसे तोड़ा गया और वहां से इसका लोहा उठा लिया गया। दूसरा प्रमाण राज्य शहरी नियोजन विभाग का है। यह देखा जा सकता है कि भूमि एक स्मारक थी। परन्तु अब उसमें से स्मारक का उल्लेख हटाकर उसकी जगह नजूल का उल्लेख किया गया है। तीसरा सबूत नागपुर मनपा के शहरी विकास विभाग का नक्शा है। हमने आरटीआई में यह मांगा था।"

उन्होंने आगे कहा, "मनपा के नक्शे में भी यही जिक्र देखा जा सकता है। लेकिन इसमें कलेक्टर और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने खातों में चूना लगा दिया है। ऐसा उन्होंने खुद नहीं बल्कि किसी के कहने पर किया था। इसके पीछे एक निजी शख्स है। किशोर गजभिए ने साफ आरोप लगाया कि, "यह बदलाव साल 2021 का है और यह सब गरुड़ कंपनी ने किया है।"

गरुड़ कंपनी ने महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम को पत्र लिखकर स्मारक के निर्माण को गिराने की अनुमति मांगी थी। उन्होंने इस स्मारक को बुलडोजर से गिरा दिया है। यह कहना कि यह पक्की इमारत तूफान में गिर गई, नागपुर के सभी लोगों को मूर्ख बनाना है। उनके बयान निराधार और भ्रामक हैं। किशोर गजभिये ने आज कहा कि हम कार्य समिति की ओर से इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं।