दूसरे दिन भी एसटी की कई फेरियां रद्द, आंदोलनकारियों ने कहा- सरकार एसटी कर्मचारियों को बना रही मुर्ख

नागपूर: राज्य परिवहन निगम एसटी महामण्डल के कर्मचारी अपनी विविध मांगो को लेकर आंदोलन पर हैं। जिसके कारण एसटी की कई फेरियां रद्द की गई है। आंदोलन के कारण यात्रियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एसटी कर्मचारियों का आंदोलन दूसरे दिन भी जारी रहा। जिसके कारण विभिन्न क्षेत्रों में जाने वाली बसों की कई फेरियां रद्द करनी पड़ी। वहीं इस बार एसटी कर्मचारी आर-पार के मूड में दिखाई दे रहे हैं। यही नहीं सरकार पर मुर्ख बनाने का आरोप लगाते हुए आंदोलनकारियों ने कहा कि, "जब तक राज्य सरकार जितना वेतन नहीं मिलता तब तक आंदोलन समाप्त नहीं होगा।"
एसटी महामंडल के कर्मचारी पीछे कई समय से राज्य सरकार के अन्य कर्मचारियो की तरह वेतन की मांग कर रहे हैं। इसको लेकर कई बार आंदोलन भी किया जा चूका है। लेकिन हार बार सरकार के आश्वासन के बाद आंदोलन को स्थगित कर दिया जाता है। लेकिन इस बार कर्मचारियों ने आर-पार का मूड अपना लिया है। कर्मचारियों काकहना है कि, सरकार केवल आश्वासन देती है लेकिन काम पूरा नहीं करती है।
सरकार कर्मचारियों को बना रही मुर्ख
एसटी कर्मचारी कृति समिति के बैनर तले यह आंदोलन किया जा रहा है। आंदोलनकारियों का कहना है कि,"सरकार के आश्वासन के कारण हमने कई बार अपना आंदोलन स्थगित किया है। पिछले दिनों हुई बैठक में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित दोनों उपमुख्यमंत्रियों ने 20 तारीख के पहले मामला सुलझाने का वादा किया था। हालांकि, वह अभी तक पूरा नहीं हुआ।" यात्रियों को अपना भगवान बताते हुए कर्मचारियों ने कहा कि, "सरकार केवल आश्वासन देकर कर्मचारियों को मुर्ख बनाने का काम कर रही है। लेकिन इस बार जब तक अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह हमें वेतन नहीं मिलता तब तक यह आंदोलन समाप्त नहीं होगा।"
उदय सामंत ने आंदोलन स्थगित करने की मांग
हड़ताल को देखते हुए मंगलवार को मंत्री उदय सामंत ने एसटी कर्मचारी कृति समिति के पदाधिकारियों के साथ बैठक की और आंदोलन पर नहीं जाने की मांग की। इसी के साथ यह भी कहा कि, मुख्यमंत्री शिंदे के साथ होने वाली बैठक में इसका निर्णय किया जाएगा।" सामंत की मांग को ठुकराते हुए कर्मचारियों ने कहा कि, सात से आठ बार सकारत्मक बैठक हो चुकी है। सरकार बैठक कर अपनी हंसी कर वा रही है और हमें मुर्ख बना रही है।"
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एक दिन में 20 करोड़ का नुकसान
इस आंदोलन के कारण एसटी की केवल 50 प्रतिशत बस सड़कों में दौड़ रही है। जिसके कारण एक तरफ जहां यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ एसटी को राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है। मंगलवार को हुई हड़ताल के कारण एसटी महामण्डल को 15 से 20 करोड़ का घाटा हुआ है। अगर आंदोलन जल्द समाप्त नहीं हुआ तो आर्थिक मोर्चे पर एसटी को बड़ा नुकसान होगा।

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