मंदिरों के पैसे मदरसों को दे रही सरकार, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने की मांग- सनातनी बोर्ड का हो गठन

नागपुर: आजादी के बाद से सरकार के पास मंदिरो पर कब्ज़ा किया हुआ है। करोडो रूपये का दान हिन्दू मंदिर में करते हैं। लेकिन उस पैसो का उपयोग कहां होता है किसे नहीं पता। सरकार मंदिरों के पैसों मदरसों को देती है। ये हमारे ऊपर अत्याचार नहीं है तो क्या है? सरकार पैसा ले, लेकिन सनातनी बोर्ड का करे गठन। रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने यह बात कही।
उन्होंने आगे कहा, “वाफ बोर्ड के अनुसार सनातनी बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए। इस बोर्ड में सरकारी कर्मचारी के बजाय धर्म्माचारी उसमे सदस्य हो। देखभाल भेल सरकार करे, लेकिन बोर्ड में पदाधिकारी धर्माचारी हो।”
शिवाजी के देश में सनातनियों पर हमले
ठाकुर ने कहा, “आज शिवाजी जयंती है। जिस देश को आजाद कराने के लिए उन्होंने इतनी लड़ाई लड़ी। आजादी के बाद उसी के देश में सबसे ज्यादा हमले सनातनियों पर हुए। शिवाजी के देश में रामचरितमानस जलाई जा रही। उसपर सवाल उठाया जा रहा है। क्या इसी के लिए उन्होंने लड़ाई की थी ऐसा सवाल भी पूछा।”
मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में घुसा कल्चरल आतंकवाद
मौजूदा शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए देवकीनंदन ने कहा, "मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में कल्चरल आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। शिवाजी महाराज ऐसा देश चाहते थे, ऐसी शिक्षा व्यवस्था चाहते थे। विद्या के मंदिर लव मंदिर बन गया। क्या-क्या पढ़ाया जा रहा। अगर कोई विरोध करता है तो उसका पुतला फूंका दिया जाता है। शिक्षा में कल्चरल आतंकवाद घुसा हुआ है उससे हमें आजादी चाहिए।"
हिन्दू बच्चे पैदा करें ज्यादा बच्चे
जनसख्या कानून की मांग करते हुए कथावाचक ने कहा, "देश में जनसँख्या का विस्फोट हो चूका है। लेकिन इसपर किसी का कोई ध्यान नहीं। हम लगातार इसके लिए कानून की मांग कर रहे हैं। यह एक तरफ़ा नहीं चलेगा। 10 बीवी और 40 बच्चे पैदा करने वालों पर कोई कंट्रोल नहीं। इसलिए जब तक कनून नहीं आजाता सनातनी ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करें।" उन्होंने आगे कहा, "जब तक कानून नहीं बनता सनातनी अकेले पालन नहीं करें। जब तक सनातनी बहुसंख्यक रहेगा ये देश सेकुलर रहेगा। जिस दिन सनातनी कम हुए ये देश सेकुलर नहीं रहेगा।"
मंदिरों के पैसों से हो गुरुकुलम का गठन
सरकार को सनातनी बोर्ड के साथ देश बाहर में जितने भी जिले हैं उन्हें पांच ऐसे गुरुकुलम का गठन करना चाहिए जो विश्व स्तरीय हो। वहां आधुनिक शिक्षक से लेकर धार्मिक और सांस्कृतिक शिक्षा मौजूद होना चाहिए। सरकार इस पर जितना भी खर्च हो वह मंदिरो से आरहे पैसों से करे।'

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