नक्सलियों को जनता का समर्थन नहीं, उप महानिरीक्षक संदीप पाटिल ने कहा- वर्तमान में शहरी नक्सलवाद सबसे बड़ी चुनौती

नागपुर: देश में कुछ बुद्धिजीवी नक्सलवाद की जड़े मजबूत करने में लगे हुए हैं। वह लगातर देश में नक्सली विचारधारा को बढ़वा देने में लगे हुए हैं, लेकिन अब इन्हे आम नागरिकों का समर्थन नहीं मिल रहा है। लेकिन शहरी नक्सलवाद हमारे लिए बड़ा खतरा है। इनपर कंट्रोल करना बड़ी चुनौती है। नक्सल विरोधी अभियान के अगुआ उप महानिरीक्षक संदीप पाटिल ने यह बात कही। पाटिल गुरुवार को नागपुर पहुंचे थे। जहां एक निजी मीडिया समूह से बात करते हुए उन्होंने यह बात कही।
पाटिल ने कहा, "माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद 2004 से देश में नक्सली गतिविधियां बढ़ीं। 2009 में एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। इसके बाद से नक्सलियों को समाप्त करने की अपनी योजना को और तेजी से शुरू कर दिया। इसी के मद्देनजर दूर-दर्ज के इलाको में बड़े पैमाने पर चौकियां स्थापित करने का काम शुरू कर दिया गया है।"
उन्होंने आगे कहा, "पिछले कुछ वर्षों में नक्सली इन पर नियंत्रण हासिल करने में सफल रहे हैं। अगर गडचिरोली जिले की बात करें तो यहां 60 चौकियां काम कर रही हैं। वहीं इस कारण पहले जो नक्सली जिले में रहते थे वह अब छत्तीसगढ़ के जंगलो में रह रहे हैं। हालांकि, इन्हे समाप्त करने के लिए उन इलाको में भी बड़ी कार्रवाई की जरुरत है।
गडचिरोली में नहीं मिल रहा समर्थन
पाटिल ने कहा कि, "गडचिरोली जिले में विकास के कई योजनाओं पर काम किया जारहा है। युवाओं को नक्सल गतिविधियों से दूर रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के साथ मिलकर लगातार उपक्रम चल रहे हैं। वहीं सरकारी योजनाओं को उन तक पहुंचाया जा रहा है। इसी का कारण है कि, जिले में अब नक्सलियों को जनता का समर्थन नहीं मिल रहा है।" उन्होंने कहा कि, आने वाले कुछ समय में जिला नक्सल मुक्त दिखाई देगा।"
शहरी नक्सलवाद ज्यादा खतरनाक
उप महानिरीक्षक ने कहा कि, "ग्रामीण नक्सलवाद से ज्यादा खतरनाक शहरी नक्सलवाद है। वहीं वह बेहद प्रभावी भी है। इसी के मद्देनजर शहरों में रहने वाले कई नेताओं के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है। इस कारण कुछ हद तक यह दबा हुआ है। लेकिन इसके बावजूद ये गाहे बेगाहे अपने सर उठाते रहते हैं। जिस पर कंट्रोल करना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

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