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ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प में 'निसर्गानुभव' उपक्रम के तहत प्राणी गणना, 100 से अधिक मचानों से वन्यजीव प्रेमियों ने किया प्राणियों का निरिक्षण


चंद्रपुर: हर वर्ष बुद्ध पूर्णिमा की रात राज्य के जंगलों में मचान प्राणी गणना की परंपरा निभाई जाती है। इसी कड़ी में इस बार भी चंद्रपुर जिले के ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के बफर क्षेत्र में 'निसर्गानुभव' उपक्रम के अंतर्गत वन्यजीव गणना संपन्न हुई। प्राणी गणना में शामिल हुए पर्यटकों ने इस आयोजन की काफी सराहना की।

इस आयोजन के लिए लगभग 100 से अधिक मचान बनाए गए थे, जहाँ वन्यजीव प्रेमी रात भर बैठकर वन्यजीवों का निरीक्षण करते हैं। इस बार प्रति व्यक्ति 4500 रुपये शुल्क लिया गया, जिससे ये उपक्रम विवादों में आ गया। बावजूद इसके, वन्यजीव प्रेमियों का जबरदस्त प्रतिसाद देखने को मिला।

वनविभाग की ओर से इन प्रकृति प्रेमियों को नियोजित मचानों तक वाहन द्वारा ले जाया गया। इसके बाद पूरी रात वे जंगल में प्राणियों के आवाज और उनकी गतिविधियों और पक्षियों की चहचहाहट का अनुभव किये। हालांकि अब अत्याधुनिक तकनीक से वन्यजीव गणना अधिक प्रभावी ढंग से की जाती है, जिससे इस परंपरागत गणना का व्यावहारिक महत्व कम हुआ है। फिर भी, मचान पर बैठकर जंगल के रोमांच को प्रत्यक्ष अनुभव करने की भावना के चलते ये  उपक्रम वन्यजीव प्रेमियों में लोकप्रिय है। 

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