Chadrapur: चरवाहे पर बाघ ने किया हमला, फिर हुआ कुछ ऐसा लोगों को नहीं हुआ यकीन

चंद्रपुर: कहते हैं न जो जितने दिनों के लिए इस धरती पर आया है वह उतने दिन जीकर ही रहेगा। फिर चाहे कितनी भी कठिनाइयां या आपदा ही उसपर क्यों न आएं। ऐसा ही एक मामला जिले के सिंदेवाही तहसील में सामने आया है। जहां जानवरों को चारा रहे एक चरवाहे पर बाघ ने हमला कर दिया। बाघ के हमले करते ही चरवाहे ने हिम्मत दिखाते हुए उससे लड़ाई शुरू कर दी और वहां से भगकर अपनी जान बचाई। इस हमले में चरवाहे सुनील सुधाकर नैताम (35, रत्नापूर) घ्याल हो गए। यह हादसा बुधवार को सिंदेवाही वन परिक्षेत्र अंतर्गत नवरगांव वन परिक्षेत्र में रत्नापुर बिटाटिल कक्ष क्रमांक 44 के पास हुआ।
मिली जानकारी के अनुसार, सुनील सिंदेवाही वन परिक्षेत्र के अंतर्गत रत्नापुर बिट सेल नंबर 44 में अन्य साथियों के साथ रोज की तरह मवेशी चरा रहे थे, तभी अचानक एक धारीदार बाघ ने उन पर पीछे से हमला कर दिया। इस हमले से सुनील डर गया। लेकिन तुरंत खुद को संभाला और हाथ में लाठी और कुल्हाड़ी लेकर पलटा और मदद के लिए चिल्लाया, तो उसका सहयोगी केशव येसनसुरे मदद के लिए आया। जिसके कारण बाघ वहां से भाग गया।
दो चरवाहों ने मिलकर बाघ के हमले को नाकाम कर दिया। लेकिन इस संघर्ष में बाघ ज्यादा ताकतवर था। इसके अलावा, वह भूखा था. अत: उसने उन दोनों को अपनी भूख मिटाने के लिए छोड़ कर तुरंत एक गाय पर आक्रमण कर उसे मार डाला। घटना की जानकारी मिलने के बाद रत्नापुर के वन रक्षक जेएस वैद्य ने घायल सुनील को इलाज के लिए सिंदेवाही ग्रामीण अस्पताल में भर्ती कराया।
बाघ से लड़ते समय सुनील की कुल्हाड़ी गिर गयी और वह अपना आपा खो बैठा। जब ऐसा लगा कि उनका संघर्ष ख़त्म हो गया है, तो सहकर्मी केशव येसनसुरे दौड़ते हुए आया। इसके बाद दोनों ने मिलकर बाघ के हमले को नाकाम कर दिया। अगर केशव नहीं होता तो सुनील आज जिंदा नहीं होता। बाघ के हमले में सुनील के पीठ, छाती और हाथ पर जख्म हो गए हैं।

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