Chandrapur: डीजल के इंतजार में एक घंटे तक पेट्रोल पंप पर करना पड़ा इंतजार
चंद्रपुर: राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए हजारों करोड़ रुपये आवंटित किये हैं। लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दोचार होना पड़ता है। ऐसा ही एक मामला जिले के गोंडपिंपरी तहसील से सामने आया है, एम्बुलेंस में डीजल नहीं होने के कारण गर्भवती महिला को एक घंटे तक पेट्रोल पंप पर इंतजार करना पड़ा।
गोंदपिपारी तहसील के ढाबा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हमेशा किसी न किसी वजह से चर्चा में रहता है। इस स्वास्थ्य केंद्र में तीन एमबीबीएस चिकित्सा अधिकारी हैं और उनमें से एक कभी भी मुख्यालय में नहीं रहता है। वे चंद्रपुर से आवागमन करते हैं। मंगलवार को ढाबा की गर्भवती मोनिका रामदास तंगड़पलेवार को परेशानी होने लगी। चूंकि उनकी हालत गंभीर थी, इसलिए उन्हें चंद्रपुर जिला सामान्य अस्पताल में स्थानांतरित करना चाहा। एक एम्बुलेंस उसे ढाबा स्वास्थ्य केंद्र से लाई गई और चंद्रपुर के लिए रवाना हो गई।
इसी बीच डीजल नहीं होने पर चालक एंबुलेंस को गोंदपिपरी स्थित पेट्रोल पंप पर ले गया। चालक के पास डीजल भरवाने के लिए पैसे नहीं थे। पंप संचालक ने कर्ज पर डीजल देने से इनकार कर दिया। रुपये निकालने में करीब एक घंटा लग गया। इस दौरान गर्भवती महिला एंबुलेंस में थी। एक घंटे के बाद तहसील चिकित्सा अधिकारी डॉ. दिनेश चाकोले ने पैसों का इंतजाम किया और एंबुलेंस चंद्रपुर के लिए रवाना हो गई।
जननी सुरक्षा योजना, जननी शिशु सुरक्षा योजना जैसी कई योजनाओं के माध्यम से राशि उपलब्ध होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने गर्भवती महिलाओं की जान जोखिम में डाल दी है। इससे नागरिकों में रोष है। जब इस बारे में अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कनिष्ठ लिपिक का पद रिक्त होने और पंचायत समिति स्तर पर भुगतान रोके जाने के कारण ऐसा हुआ है। अब सबकी निगाह इस बात पर है कि कर्तव्य में कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी।
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