Chandrapur: यहां भरता है मजदूरों का बाजार, कुछ को मिलता है काम, कुछ खाली हाथ लौट जाते हैं घर

चंद्रपुर: पुष्पा फिल्म बहुत लोकप्रिय हुई थी. इस फिल्म के एक सीन में मजदूर इकट्ठा होते हैं. ऐसा ही नजारा सुबह चंद्रपुर में देखने को मिल सकता है. सैकड़ों मजदूर जुटते हैं. कुछ को काम मिल रहा है तो कुछ खाली हाथ हैं.
हालाँकि चंद्रपुर जिले की पहचान एक औद्योगिक जिले के रूप में है, लेकिन इस जिले में रोजगार की समस्या गंभीर हो गई है. निर्माण मजदूर अपने खाली हाथों के लिए काम पाने की उम्मीद में सुबह-सुबह अपना टिफिन लेकर निकल पड़ते हैं.
चंद्रपुर शहर के बंगाली कैंप चौक, श्री ताकीट चौक, जुनोना नाका, पडोली में सैकड़ों की संख्या में मजदूर इकट्ठा होते हैं. जब कोई गुत्तेदार आता है तो सभी मजदूरों की निगाहें उस पर टिक जाती हैं. हर खाली हाथ को काम नहीं मिल सकता.
कुछ को काम मिलता तो कुछ को खाली हाथ लौटना पड़ता है. विकास की बात करने वाले जन प्रतिनिधियों को कभी भी मजदूरों की परेशानी नजर नहीं आई. उनके पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं है. ऐसे कठिन समय में परिवार की जरूरतों को कैसे पूरा किया जाए यह बड़ा सवाल इन मजदूरों के सामने खड़ा है.
सरकार के पास श्रमिकों के लिए कई योजनाएं हैं. लेकिन जटिल शर्तों के कारण कागजात पूरे नहीं हो पाते हैं. इसलिए मजदूर इन योजनाओं से वंचित हैं. क्या इन मजदूरों के पसीने की कोई सही कीमत इन्हें मिल रही है? यही असली सवाल है. यह बड़ी त्रासदी है कि उनकी राय पर नजर रखने वाले नेताओं ने इस कार्यकर्ता के दर्द को कभी नहीं समझा.
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